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बादलों में छुपा सूरज

Posted: Thu Oct 24, 2024 3:14 pm
by Realrider
बादलों की ओट में छिपा,
सूरज मंद-मंद मुस्काए।
जैसे कोई शर्मीली किरण,
धीरे-धीरे झलक दिखाए।

आकाश का नीला आँचल,
बादलों से भर जाता है,
परछाई बन, सूरज छुपकर,
अपनी किरणें लहराता है।

रौशनी की चाह में धरती,
उसके दर्शन को तरसे,
और वो चुपके से छुपकर,
अपने खेल में खो जाए।

पर ये छुपना भी प्यारा है,
एक झलक का इंतज़ार,
फिर बादलों को चीरता वो,
उजालों का करे प्रहार।

हर छुपने के बाद, सदा,
वो लौटकर फिर आता है,
बादलों के संग खेल-खेल में,
अपना राज़ छिपाता है।

Re: बादलों में छुपा सूरज

Posted: Thu Oct 24, 2024 8:43 pm
by johny888
बादलों में छुपा सूरज पर एक और कविता प्रस्तुत है

धूप छनती थी, चमकती थी धरती,
अचानक छा गए बादल, मन हुआ घबराया।
सूरज छिप गया, मानो शर्माया,
अंधेरा छा गया, मन हुआ उदास।

बूंदें बरसने लगीं, धरती को सींचती हुईं,
फूल मुस्कुरा उठे, मानो नहा रहे हों।
बादल हटने लगे, सूरज निकला,
धरती चमक उठी, मानो नया जीवन मिला।

कितना सुंदर लगता है यह नजारा,
बादलों और सूरज का यह खेल,
प्रकृति का यह चमत्कार।

Re: बादलों में छुपा सूरज

Posted: Sat Nov 16, 2024 11:49 pm
by Bhaskar.Rajni
बादलों में छुपा सूरज
चांद से भी अधिक खूबसूरत लगता है
आकाश में रंगों की छटा बिखेर हुआ
वह बिल्कुल तेरे जैसा लगता है।

बादलों में छुपा सूरज
जैसे तू झूठ से रूठ जाए
मैं बार-बार मनाऊं तुझको
तेरा वह रूप भाये मुझको

Re: बादलों में छुपा सूरज

Posted: Wed Nov 20, 2024 3:01 pm
by Sonal singh
Bhaskar.Rajni wrote: Sat Nov 16, 2024 11:49 pm बादलों में छुपा सूरज
चांद से भी अधिक खूबसूरत लगता है
आकाश में रंगों की छटा बिखेर हुआ
वह बिल्कुल तेरे जैसा लगता है।

बादलों में छुपा सूरज
जैसे तू झूठ से रूठ जाए
मैं बार-बार मनाऊं तुझको
तेरा वह रूप भाये मुझको
बादलों में छुपा सूरज सबसे ज्यादा कष्ट सर्दियों में देता है. निकलता ही नहीं है। ऐसा लगता है कि सर्दियों में सूरज अपनी खूबसूरती को छुपाता है। और हम लोगों क़ो चिड़ाता है। 😂करवा चौथ वाले दिन नखरे दिखाता है। गर्मियों में सूरज अपना क्रोध दिखता है। हम ही को जलाता है। सूरज के अपने ही जलते हैं। जब मन करें निकलता है जब मन करें चला जाता है।

Re: बादलों में छुपा सूरज

Posted: Thu Nov 21, 2024 5:45 pm
by Bhaskar.Rajni
Sonal singh wrote: Wed Nov 20, 2024 3:01 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Sat Nov 16, 2024 11:49 pm बादलों में छुपा सूरज
चांद से भी अधिक खूबसूरत लगता है
आकाश में रंगों की छटा बिखेर हुआ
वह बिल्कुल तेरे जैसा लगता है।

बादलों में छुपा सूरज
जैसे तू झूठ से रूठ जाए
मैं बार-बार मनाऊं तुझको
तेरा वह रूप भाये मुझको
बादलों में छुपा सूरज सबसे ज्यादा कष्ट सर्दियों में देता है. निकलता ही नहीं है। ऐसा लगता है कि सर्दियों में सूरज अपनी खूबसूरती को छुपाता है। और हम लोगों क़ो चिड़ाता है। 😂करवा चौथ वाले दिन नखरे दिखाता है। गर्मियों में सूरज अपना क्रोध दिखता है। हम ही को जलाता है। सूरज के अपने ही जलते हैं। जब मन करें निकलता है जब मन करें चला जाता है।
सूरज ही तो सबसे ज्यादा पावरफुल है और पावरफुल व्यक्ति नखरे तो दिखता ही है जब उसका मन करेगा निकलेगा जब मन करेगा नहीं निकलेगा उसे पर कोई कर थोड़े चलता है। कभी-कभी मुझे लगता है आदमी को कहीं संतुष्टि ही नहीं है जब गर्मियों में सूरज गर्मी देता है तब इंसान उसे कहता है इतनी गर्मी कर रखी है और सर्दियों में जब नहीं उगता तब इंसान कहता है और उगता ही नहीं।भाई वो तो अपने मौसम के हिसाब से चलता है ना आपके मुताबिक थोड़े चलेगा कि भाई जरा कपड़े गीले हैं जरा निकलो, कपड़े सूख जाएंगे। 😛🤣🤣🤣

Re: बादलों में छुपा सूरज

Posted: Sun Dec 08, 2024 4:37 pm
by Harendra Singh
सूरज छिपा बादल में
प्रकाश हुआ ओझल,
पल भर के लिए अंधकार का साया
सूरज पर बादल मंडराया,
कभी कभी प्रकृति का संदेश
इंसानों को करती सचेत,
हर शक्तिमान को समय चक्र
के आगे झुकने का देती संदेश,
एक अदद बादल भी सूरज को ढक सकता है
प्रकाश पुंज के महाकुंड को भी ढक सकता है
फिर कोई भी शक्तिमान समय
के आगे तुच्छ समझ,
अपने अहंकार को त्याग
नम्र भी बन झुक सकता है❤️

Re: बादलों में छुपा सूरज

Posted: Fri Dec 13, 2024 5:44 pm
by Sonal singh
Bhaskar.Rajni wrote: Thu Nov 21, 2024 5:45 pm
Sonal singh wrote: Wed Nov 20, 2024 3:01 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Sat Nov 16, 2024 11:49 pm बादलों में छुपा सूरज
चांद से भी अधिक खूबसूरत लगता है
आकाश में रंगों की छटा बिखेर हुआ
वह बिल्कुल तेरे जैसा लगता है।

बादलों में छुपा सूरज
जैसे तू झूठ से रूठ जाए
मैं बार-बार मनाऊं तुझको
तेरा वह रूप भाये मुझको
बादलों में छुपा सूरज सबसे ज्यादा कष्ट सर्दियों में देता है. निकलता ही नहीं है। ऐसा लगता है कि सर्दियों में सूरज अपनी खूबसूरती को छुपाता है। और हम लोगों क़ो चिड़ाता है। 😂करवा चौथ वाले दिन नखरे दिखाता है। गर्मियों में सूरज अपना क्रोध दिखता है। हम ही को जलाता है। सूरज के अपने ही जलते हैं। जब मन करें निकलता है जब मन करें चला जाता है।
सूरज ही तो सबसे ज्यादा पावरफुल है और पावरफुल व्यक्ति नखरे तो दिखता ही है जब उसका मन करेगा निकलेगा जब मन करेगा नहीं निकलेगा उसे पर कोई कर थोड़े चलता है। कभी-कभी मुझे लगता है आदमी को कहीं संतुष्टि ही नहीं है जब गर्मियों में सूरज गर्मी देता है तब इंसान उसे कहता है इतनी गर्मी कर रखी है और सर्दियों में जब नहीं उगता तब इंसान कहता है और उगता ही नहीं।भाई वो तो अपने मौसम के हिसाब से चलता है ना आपके मुताबिक थोड़े चलेगा कि भाई जरा कपड़े गीले हैं जरा निकलो, कपड़े सूख जाएंगे। 😛🤣🤣🤣
आप सर्दियां आ गई है अब बादलों में सूरज छुआ ही रहेगा ताकि आपके कपड़े ना सुख पाए 😂😂😂 गर्मियों में आग उगलता है ताकि हम गर्मी में पिघल जाएं मैं तो पानी से भी डर लग रहा है क्योंकि सूरज छप चुका है बादलों में दिखाई देने से भी दिखाई नहीं देगा सर्दी का शीत लहर जारी है 😂😂😂 क्या कर सकते हैं चांद छुपा बादल में बादलों में छुपा चंद दोनों में बड़ा अंतर है गर्मियों में पता नहीं क्या हो जाता है गर्मियों में छुपाना छुपी खेलना बंद कर देता है सूरज😂😂😂😂😂

Re: बादलों में छुपा सूरज

Posted: Sat Dec 14, 2024 10:01 am
by Suman sharma
अमल धवल गिरि के शिखरों पर,
बादल को घिरते देखा है।

छोटे-छोटे मोती जैसे
उसके शीतल तुहिन कणों को

मानसरोवर के उन स्वर्णिम
कमलों पर गिरते देखा है,

बादल को घिरते देखा है।
तुंग हिमालय के कंधों पर

छोटी बड़ी कई झीलें हैं,
उनके श्यामल नील सलिल में

समतल देशों से आ-आकर
पावस की ऊमस से आकुल

तिक्त-मधुर बिषतंतु खोजते
हंसों को तिरते देखा है।

बादल को घिरते देखा है।

Re: बादलों में छुपा सूरज

Posted: Sat Dec 14, 2024 10:06 am
by Suman sharma
Bhaskar.Rajni wrote: Sat Nov 16, 2024 11:49 pm बादलों में छुपा सूरज
चांद से भी अधिक खूबसूरत लगता है
आकाश में रंगों की छटा बिखेर हुआ
वह बिल्कुल तेरे जैसा लगता है।

बादलों में छुपा सूरज
जैसे तू झूठ से रूठ जाए
मैं बार-बार मनाऊं तुझको
तेरा वह रूप भाये मुझको
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,

दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,

आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

Re: बादलों में छुपा सूरज

Posted: Sat Dec 14, 2024 10:09 am
by Suman sharma
Sonal singh wrote: Wed Nov 20, 2024 3:01 pm
Bhaskar.Rajni wrote: Sat Nov 16, 2024 11:49 pm बादलों में छुपा सूरज
चांद से भी अधिक खूबसूरत लगता है
आकाश में रंगों की छटा बिखेर हुआ
वह बिल्कुल तेरे जैसा लगता है।

बादलों में छुपा सूरज
जैसे तू झूठ से रूठ जाए
मैं बार-बार मनाऊं तुझको
तेरा वह रूप भाये मुझको
बादलों में छुपा सूरज सबसे ज्यादा कष्ट सर्दियों में देता है. निकलता ही नहीं है। ऐसा लगता है कि सर्दियों में सूरज अपनी खूबसूरती को छुपाता है। और हम लोगों क़ो चिड़ाता है। 😂करवा चौथ वाले दिन नखरे दिखाता है। गर्मियों में सूरज अपना क्रोध दिखता है। हम ही को जलाता है। सूरज के अपने ही जलते हैं। जब मन करें निकलता है जब मन करें चला जाता है।
आज है तो कल है, जल है तो जीवन है
गम है तो खुशी है, आत्मा है तो शरीर है,
सच है तो झूठ भी है, जैसा भी हो, ये जीवन है

रंग जीवन के अनेक हैं, ख़्वाब बुनता है सुजीत
अमन ए चैन का,न जाने क्या हो गया है जमाने को
बेचैन है सबके सब यहाँ, रक्त का दरिया बहाने को