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अनकही बातें, अनकहे अल्फाज

Posted: Mon Dec 09, 2024 10:40 am
by aakanksha24
USER ID aakanksha24
बहुत मुश्किल था मेरे लिए खुद को तकलीफ में देखना
लेकिन उस से ज्यादा जरूरी था मां बाप को मुस्कुराते हुए देखना ।
तनाव, अवसाद, बैचेनी झेल रही थी
दुनिया के इस रंगमंच में भी अपने किरादर से खेल रही थी , कभी किसी को हंसाने के लिए,तो कभी किसी को सहारे देने के लिए ,कभी किसी के खालीपन को भरने के लिए ।
दर्द , तकलीफ से मैं भी गुजर रही थी ,लेकिन हंसी के मुखौटे मैने भी पहन रखे थे अपनो के लिए।
अकेली रातों में रोती थी ,चिल्लाती थी ,
खुद को टूटता, बिखरता पाती थी एक कोने में ।
इतना सब अकेले झेलती थी , मुंह मैं रूमाल रख रोती थी
पर कह कुछ भी न पाती थी ..... हां खामोश थी मैं उस वक्त
आकांक्षा रैकवार
मध्य प्रदेश

Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज

Posted: Mon Dec 09, 2024 11:48 am
by LinkBlogs
WELCOME TO THE CLUB!!!!

आज की व्यस्त दुनिया में, हर व्यक्ति मानसिक पीड़ा से गुजर रहा है।

1. Men - बाहरी दुनिया के माध्यम से महत्वपूर्ण दबाव और दर्द का सामना कर रहे हैं।
2. Women - परिवार के सदस्य के माध्यम से बहुत अधिक अवसाद और तनाव का सामना कर रही हैं।
3. Children - तनाव और दर्द के बारे में न जानते हुए, वे शिक्षा के माध्यम से प्रारंभिक बचपन में संघर्ष कर रहे हैं।
4. Adults - समाज के साथ मेलजोल और सामंजस्य स्थापित करने में संघर्ष कर रहे हैं (जो उन्होंने अपनी बचपन में कभी नहीं देखा था) एक सामान्य आदमी/महिला के रूप में।

कुल मिलाकर, हम इंसान बिना कुछ जाने एक-एक करके तनावपूर्ण जीवन के पैटर्न से गुजर रहे हैं और सफलता के पीछे दौड़ रहे हैं, खुशियों के बजाय।
aakanksha24 wrote: Mon Dec 09, 2024 10:40 am USER ID aakanksha24
बहुत मुश्किल था मेरे लिए खुद को तकलीफ में देखना
लेकिन उस से ज्यादा जरूरी था मां बाप को मुस्कुराते हुए देखना ।
तनाव, अवसाद, बैचेनी झेल रही थी
दुनिया के इस रंगमंच में भी अपने किरादर से खेल रही थी , कभी किसी को हंसाने के लिए,तो कभी किसी को सहारे देने के लिए ,कभी किसी के खालीपन को भरने के लिए ।
दर्द , तकलीफ से मैं भी गुजर रही थी ,लेकिन हंसी के मुखौटे मैने भी पहन रखे थे अपनो के लिए।
अकेली रातों में रोती थी ,चिल्लाती थी ,
खुद को टूटता, बिखरता पाती थी एक कोने में ।
इतना सब अकेले झेलती थी , मुंह मैं रूमाल रख रोती थी
पर कह कुछ भी न पाती थी ..... हां खामोश थी मैं उस वक्त
आकांक्षा रैकवार
मध्य प्रदेश

Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज

Posted: Mon Dec 09, 2024 11:53 am
by Warrior
इन self-help कदमों को आजमाएं और परखें जो आपको आपके दर्द से राहत दिला सकते हैं

1. Talking therapies दर्द से राहत में मदद कर सकती हैं - कुछ लोगों को यह सहायक होता है कि वे एक मनोवैज्ञानिक या हिप्नोथेरेपिस्ट से मदद लें ताकि वे अपने दर्द से संबंधित भावनाओं को समझने और निपटने का तरीका ढूंढ सकें।
2. Distract yourself - ध्यान को कुछ और चीज़ों पर शिफ्ट करें ताकि दर्द ही आपकी सोच का केंद्र न बने। किसी ऐसे काम में व्यस्त हो जाएं (जैसे फोटोग्राफी, सिलाई या बुनाई) जिसे आप पसंद करते हैं या जो आपको मानसिक उत्तेजना प्रदान करता हो।
3. Keeping in touch with friends and family - यह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और आपको महसूस करने में मदद कर सकता है कि आप बेहतर हैं। छोटे-छोटे दौरे करें, शायद अधिक बार, और अगर आप बाहर नहीं जा सकते तो किसी दोस्त को फोन करें, किसी परिवार के सदस्य को चाय के लिए बुलाएं या अपने पड़ोसी से बात करें।
4. Meditation with guided imagery - गहरी सांसों की शुरुआत करें, प्रत्येक सांस पर ध्यान केंद्रित करें। फिर शांतिपूर्ण संगीत सुनें या एक विश्रामपूर्ण वातावरण की कल्पना करें।
5. Eliciting the relaxation response - यह तनाव प्रतिक्रिया का प्रतिकार है, जो हृदय गति को तेज करता है और शरीर की प्रणालियों को उच्च सतर्कता पर डालता है, जबकि विश्राम प्रतिक्रिया शरीर की प्रतिक्रियाओं को कम कर देती है। अपनी आँखें बंद करने और सभी मांसपेशियों को आराम देने के बाद, गहरी सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करें।

Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज

Posted: Mon Dec 09, 2024 6:33 pm
by Harendra Singh
इस ज़िन्दगी में कुछ भी स्थायी नहीं है… हर कदम हर पल कुछ न कुछ बदलता रहता है…. और हमें भी न चाहते हुए भी उस बदलाव के साथ बदलना पड़ता है… कई बार हमें अपने दिल के बोहोत करीबी चीजों को छोड़ना पड़ता…. अपना स्कूल… अपना घर…. पर सबसे अहम अपने दोस्त…. और साथ रह जाती हैं हमारे तो बस कुछ यादें पुरानी जो किसी को बताई नहीं जा सकती…. बस कहीं अंदर ही अंदर दिल के किसी कोने में अपना घर बसा लेती हैं…. मैं जिंदगी है अनकही अल्फाज है हर किसी को बताने का मन नहीं करता।

Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज

Posted: Mon Dec 09, 2024 7:48 pm
by Deepika sharma
aakanksha24 wrote: Mon Dec 09, 2024 10:40 am USER ID aakanksha24
बहुत मुश्किल था मेरे लिए खुद को तकलीफ में देखना
लेकिन उस से ज्यादा जरूरी था मां बाप को मुस्कुराते हुए देखना ।
तनाव, अवसाद, बैचेनी झेल रही थी
दुनिया के इस रंगमंच में भी अपने किरादर से खेल रही थी , कभी किसी को हंसाने के लिए,तो कभी किसी को सहारे देने के लिए ,कभी किसी के खालीपन को भरने के लिए ।
दर्द , तकलीफ से मैं भी गुजर रही थी ,लेकिन हंसी के मुखौटे मैने भी पहन रखे थे अपनो के लिए।
अकेली रातों में रोती थी ,चिल्लाती थी ,
खुद को टूटता, बिखरता पाती थी एक कोने में ।
इतना सब अकेले झेलती थी , मुंह मैं रूमाल रख रोती थी
पर कह कुछ भी न पाती थी ..... हां खामोश थी मैं उस वक्त
आकांक्षा रैकवार
मध्य प्रदेश
अनकहे अल्फाज़ समझा तो करो
धड़कने दिल की, सुना तो करो
ये रात ये समा सब नसीबो का किस्सा है
हकीक़त ना सही, सपना ही समझा तो करो

तुमसे बात करना महज एक बहाना है
धड़कने दिल की, कभी सुना तो करो
मजबूर है हम दिल के हाथों समझा तो करो
प्यार ना सही, दोस्त बन के पास रहा तो करो

Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज

Posted: Mon Dec 09, 2024 7:57 pm
by Sonal singh
यादें कुछ अनकही कुछ अनसुनी रह रह गई
दिल के कुछ पन्नों पे किस्से लिख गई
आँखों में बसी वो मासूमियत कह गयी
कुछ द्रश्यों पुराने से अपने जज़्बात कह गयी
उस गली जिधर ना जाना कभी अब सुनसान ना रही
कुछ बोली ना कभी कुछ आज हज़ार द्रश्य दिखा गयी
अनजानों से डरता था जो दिल शायद अनजानापन भूल गया
परायों को भी अपनी माया में अपना बना गया
ज़िन्दगी का ये सफर सुहाना यादों की डोरी में बंध गया
भूले ना भुलाये जाएं जो पल सारे एक पल में दिखा गया
ना जाने क्या तमन्ना इस जीवन की
हर कदम पर लेती इक अलग मोड़ है
जो याद आये कभी उस मोड़ पे तो एक पल मन की नज़रें खोल याद करलेना
उन नैनों की पलकों के नीचे हर पल हर समाहम सब का बसेरा रखलेना।

Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज

Posted: Mon Dec 09, 2024 10:01 pm
by Bhaskar.Rajni
अनकहे अल्फाज़ समझा तो करो
धड़कने दिल की, सुना तो करो
ये रात ये समा सब नसीबो का किस्सा है
हकीक़त ना सही, सपना ही समझा तो करो

तुमसे बात करना महज एक बहाना है
धड़कने दिल की, कभी सुना तो करो
मजबूर है हम दिल के हाथों समझा तो करो
प्यार ना सही, दोस्त बन के पास रहा तो करो

Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज

Posted: Mon Dec 09, 2024 10:05 pm
by Bhaskar.Rajni
aakanksha24 wrote: Mon Dec 09, 2024 10:40 am USER ID aakanksha24
बहुत मुश्किल था मेरे लिए खुद को तकलीफ में देखना
लेकिन उस से ज्यादा जरूरी था मां बाप को मुस्कुराते हुए देखना ।
तनाव, अवसाद, बैचेनी झेल रही थी
दुनिया के इस रंगमंच में भी अपने किरादर से खेल रही थी , कभी किसी को हंसाने के लिए,तो कभी किसी को सहारे देने के लिए ,कभी किसी के खालीपन को भरने के लिए ।
दर्द , तकलीफ से मैं भी गुजर रही थी ,लेकिन हंसी के मुखौटे मैने भी पहन रखे थे अपनो के लिए।
अकेली रातों में रोती थी ,चिल्लाती थी ,
खुद को टूटता, बिखरता पाती थी एक कोने में ।
इतना सब अकेले झेलती थी , मुंह मैं रूमाल रख रोती थी
पर कह कुछ भी न पाती थी ..... हां खामोश थी मैं उस वक्त
आकांक्षा रैकवार
मध्य प्रदेश
टूटे दिल की दास्ताँ…
आज फिर से किसी ने हाल पूछ लिया…और मेरा जवाब कुछ यूँ था:

कि एक ज़ख़्म अब नासूर हो चुका है…
और नासूर पे फिर से वार दस्तूर हो चुका है…
ना लगाना कोई दावा कोई मलहम अब इस्पे…
इस दिल को दर्द का फितूर हो चुका है…!!!

Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज

Posted: Mon Dec 09, 2024 10:25 pm
by Bhaskar.Rajni
LinkBlogs wrote: Mon Dec 09, 2024 11:48 am WELCOME TO THE CLUB!!!!

आज की व्यस्त दुनिया में, हर व्यक्ति मानसिक पीड़ा से गुजर रहा है।

1. Men - बाहरी दुनिया के माध्यम से महत्वपूर्ण दबाव और दर्द का सामना कर रहे हैं।
2. Women - परिवार के सदस्य के माध्यम से बहुत अधिक अवसाद और तनाव का सामना कर रही हैं।
3. Children - तनाव और दर्द के बारे में न जानते हुए, वे शिक्षा के माध्यम से प्रारंभिक बचपन में संघर्ष कर रहे हैं।
4. Adults - समाज के साथ मेलजोल और सामंजस्य स्थापित करने में संघर्ष कर रहे हैं (जो उन्होंने अपनी बचपन में कभी नहीं देखा था) एक सामान्य आदमी/महिला के रूप में।

कुल मिलाकर, हम इंसान बिना कुछ जाने एक-एक करके तनावपूर्ण जीवन के पैटर्न से गुजर रहे हैं और सफलता के पीछे दौड़ रहे हैं, खुशियों के बजाय।
aakanksha24 wrote: Mon Dec 09, 2024 10:40 am USER ID aakanksha24
बहुत मुश्किल था मेरे लिए खुद को तकलीफ में देखना
लेकिन उस से ज्यादा जरूरी था मां बाप को मुस्कुराते हुए देखना ।
तनाव, अवसाद, बैचेनी झेल रही थी
दुनिया के इस रंगमंच में भी अपने किरादर से खेल रही थी , कभी किसी को हंसाने के लिए,तो कभी किसी को सहारे देने के लिए ,कभी किसी के खालीपन को भरने के लिए ।
दर्द , तकलीफ से मैं भी गुजर रही थी ,लेकिन हंसी के मुखौटे मैने भी पहन रखे थे अपनो के लिए।
अकेली रातों में रोती थी ,चिल्लाती थी ,
खुद को टूटता, बिखरता पाती थी एक कोने में ।

इतना सब अकेले झेलती थी , मुंह मैं रूमाल रख रोती थी
पर कह कुछ भी न पाती थी ..... हां खामोश थी मैं उस वक्त
आकांक्षा रैकवार
मध्य प्रदेश
इस ज़िन्दगी में कुछ भी स्थायी नहीं है… हर कदम हर पल कुछ न कुछ बदलता रहता है…. और हमें भी न चाहते हुए भी उस बदलाव के साथ बदलना पड़ता है… कई बार हमें अपने दिल के बोहोत करीबी चीजों को छोड़ना पड़ता…. अपना स्कूल… अपना घर…. पर सबसे अहम अपने दोस्त…. और साथ रह जाती हैं हमारे तो बस कुछ यादें पुरानी जो किसी को बताई नहीं जा सकती…. बस कहीं अंदर ही अंदर दिल के किसी कोने में अपना घर बसा लेती हैं….

Re: अनकही बातें, अनकहे अल्फाज

Posted: Thu Dec 12, 2024 5:35 am
by Suman sharma
समय परिवर्तन एक नियम है और वह आता है और जाता है इसी तरह से हमारे ग्रह नक्षत्र आपस में हमारे आसपास घूमते रहते हैं और हमारे दशा अंतर्दशा को चेंज करते रहते हैं तो कभी हम बहुत खुश और कभी हम बहुत दुखी हो जाते हैं इस तरह से अपने अंतर्दशा को कंट्रोल करना सीख लेंगे तो हम कभी भी मानसिक अवसाद के शिकार नहीं होंगे और ही हम जान लेंगे यह सिर्फ एक मौसम है और जल्दी ही बदल जाएगा