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प्रेम की पीर

Posted: Tue Jul 16, 2024 7:17 pm
by Stayalive
तेरी यादें बेचैनी दे जाती हैं, बिना तेरे दिल अधूरा सा लगता है। हर दिन तेरी तस्वीरें देखता हूँ, और तेरी ख़ुशबू महसूस करता हूँ।

जानता हूँ कि तू दूर है मुझसे, फिर भी तेरी यादों में खो जाता हूँ। कभी-कभी तुझे पाने की तमन्ना में, अपनी तन्हाई से लड़ जाता हूँ।

तेरे बिना मेरे दिल को सुकून नहीं, हर पल बस तेरी यादों में धुंधला सा जीता हूँ। मेरे दिल की आवाज़ है बस एक, मुझे बहुत याद आती है तू।

Re: प्रेम की पीर

Posted: Sun Oct 27, 2024 5:07 pm
by johny888
दिल में उठता है एक सागर,
प्रेम का ज्वार-भाटा लगा रहता है।
नयन झुक जाते हैं, मन व्याकुल सा,
जब प्रियतम की याद आ जाती है।

मिलन की आस में हर पल बीतता,
अंतर मन में प्यार की पीर सताती है।
चंदन की लकड़ी सी जलती रही,
प्रेम की आग में, यह जिंदगी।

रोज़-रोज़ दिल में उठता है सवाल,
क्या मिलेगी मुझको ये मोहब्बत का माल?
नयन झुक जाते हैं, मन व्याकुल सा,
जब प्रियतम की याद आ जाती है।

Re: प्रेम की पीर

Posted: Tue Nov 12, 2024 2:14 pm
by Bhaskar.Rajni
प्रेम की पीर ना समझे कोई
मीरा के गीतों में देखो
राधा के नैनन में देखो
कान्हा बिन और ना कोई
प्रेम की पीर ना समझे कोई

Re: प्रेम की पीर

Posted: Tue Nov 12, 2024 2:21 pm
by Bhaskar.Rajni
प्रेम की पीर जिस तन लागे
वही समझ जिसको लागे
नैनन में एक की मूरत
अधर पुकारे उसका नाम
प्रेम की जोगन प्रेम ही जाने
उसकी ना कोई और पहचान

Re: प्रेम की पीर

Posted: Tue Nov 12, 2024 2:24 pm
by Bhaskar.Rajni
प्रेम की पीर क्या तूने समझी?
क्या तूने वह दर्द झेला है?
जब भी तेरा नाम पुकारा
मेरा रोम रोम बोला है।
अपने आप को मिटा कर हमने
तब तुझको पाया है।
तेरे प्रेम की पीर है मीठी लागे
तुझ में हमने रब को पाया है।

Re: प्रेम की पीर

Posted: Tue Nov 12, 2024 2:28 pm
by Bhaskar.Rajni
प्रेमियों को लागे
मीठी प्रेम की पीर
राधा को है कृष्णा भाये
वह चली जमुना के तीर
ना कोई ,कांटा न कोई पत्थर
पैरों में जो फूल बिछा दे
ऐसी है प्रेम की पीर

Re: प्रेम की पीर

Posted: Tue Nov 12, 2024 2:33 pm
by Bhaskar.Rajni
प्रेम की राह कहां आसान होती है
खुद मिटकर प्रीत जवान होती है
अधरों तक कभी आ नहीं पाती
प्रेम के नैयनों में जुबां होती है
प्रेम की पीर प्रेमी ही समझे
जिंदगी प्रेम पर कुर्बां होती है।

Re: प्रेम की पीर

Posted: Tue Nov 12, 2024 2:36 pm
by Bhaskar.Rajni
प्रेम के पीर से बच के रहिओं
प्रेम की रहना पडि़यों कोई
प्रेम प्रेम बस रटते रहना
और सूझबूझ ना रहे कोई
प्रेम की पीर ना सहियो कोई

Re: प्रेम की पीर

Posted: Tue Nov 12, 2024 2:40 pm
by Bhaskar.Rajni
आसान नहीं है प्रेम की डगर
पीर प्रेम की असहनीय है
प्राणों का मोह तुम त्यागों
आना है इस ओर अगर
प्रेम के पीर में जल जाओगे
सोच लो फिर करना ये सफर

Re: प्रेम की पीर

Posted: Tue Nov 12, 2024 2:44 pm
by Bhaskar.Rajni
तेरे दरस से मिट जाती है हर पीर
प्रेम की पीर जो तूने दी है
अब तू ही बंधा मुझको धीर
अपने बोलो की शीतल छाया से
अब मिटा दे यह प्रेम की पीर।